गंगा सप्तमी कब मनाई जाएगी?

श्री गंगा सप्तमी आज
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सनातन धर्म में गंगा स्नान का खास महत्व है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूर्णिमा, संक्रांति, गंगा सप्तमी, गंगा दशहरा और अमावस्या समेत शुभ तिथियों पर गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाकर मां गंगा, सूर्य देव, महादेव और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। सामान्य दिनों में भी साधक गंगा स्नान करते हैं।

शास्त्रों में वर्णित है कि गंगा स्नान करने से जाने-अनजाने में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं। वहीं, गंगाजल से देवों के देव महादेव का अभिषेक करने से साधक की हर परेशानी दूर हो जाती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। मां गंगा की पूजा भक्ति करने से सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है।

कब मनाई जाती है गंगा सप्तमी?
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हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर गंगा सप्तमी मनाई जाती है। यह दिन पूर्णता देवी मां गंगा को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर साधक सबसे पहले गंगा स्नान करते हैं। इसके बाद देवी मां गंगा और महादेव की पूजा करते हैं। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर गंगा नदी के तट पर मेला का आयोजन किया जाता है। साथ ही संध्याकाल में गंगा आरती की जाती है।

गंगा सप्तमी कब है?
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वैदिक पंचांग के अनुसार, 03 मई को सुबह 07 बजकर 51 मिनट पर वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि शुरू होगी। वहीं, 04 मई को सुबह 04 बजकर 18 मिनट पर वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। इसके लिए 03 मई को गंगा सप्तमी मनाई जाएगी। इस दिन गंगा स्नान हेतु शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 58 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक है।

गंगा सप्तमी के शुभ योग
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वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर त्रिपुष्कर योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही रवि और शिववास योग का भी संयोग है। रवि योग में गंगा स्नान करने से साधक को सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलेगी। वहीं, शिववास योग में गंगा स्नान कर देवों के देव महादेव की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।

गंगा सप्तमी की कथा
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पौराणिक कथा के अनुसार, राजा सगर ने युद्ध में मारे गए अपने पुत्रों को मोक्ष के लिए कठोर तपस्या कर गंगा को धरती पर अवतरित करवाया था। गंगा नदी का वेग इतना ज्यादा था। कि उससे पूरी पृथ्वी का संतुलन बिगड़ने का खतरा उत्पन्न हो गया था। ऐसे में भगवान शिव ने गंगा नदी का अपने जटाओं में धारण कर लिया और नियंत्रित रूप से धरती पर अवतरित होने दिया। भगवान शिव ने गंगा नदी को वर्ष वैशाख के माह में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि अपनी जटाओं में धारण किया था। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है। इस दिन गंगा नदी धरती पर अवतरित हुई थीं।

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