आंखों से संबंधित समस्याओं को लेकर हमारी बात हुई नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर शरद श्रीवास्तव से

चिलचिलाती गर्मी जहां राहत मिली वही किसानों के चेहरे भी खिल उठे है। लेकिन मानसून अपने साथ केवल गर्मी और सूखे से राहत ही नहीं लाया है बल्कि स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों की एक लहर भी लेकर आया है। विशेष कर आँखों के लिए । मौसमी नमी, प्रदूषण और ठहरे हुए पानी में मौजूद सूक्ष्मजीवों के साथ मिलकर, मानसून के दौरान आँखों का संक्रमण बढ़ जाता है। मानसून का आनंद तभी लिया जा सकता है जब हम स्वस्थ हो ।

आंखों से संबंधित इन्हीं समस्याओं को लेकर हमारी बात हुई नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर शरद श्रीवास्तव से। डॉक्टर शरद श्रीवास्तव जाने माने नेत्र रोग विशेषज्ञ है जो बस्ती के भानपुर में नियो मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल का संचालन करते है।

नियो मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल की सुविधाएं

नियो मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित हॉस्पिटल है जो आयुष्मान भारत योजना से आच्छादित है। यहां होने वाले सभी उपचारों पर आयुष्मान कार्ड धारकों के लिए निःशुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध है। भानपुर जैसे ग्रामीण क्षेत्र में नियो मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल किसी वरदान से कम नहीं है। ग्रामीणों को जहां कभी छोटी बड़ी बीमारियों के लिए मुख्यालय तक दौड़ना पड़ता था अब वो सुविधाएं भानपुर में ही उपलब्ध है।

नियो मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल में विशेष रूप से

नेत्र रोग, स्त्री रोग, हड्डी रोग, नार्मल और सीजेरियन विधि से प्रसव की सुविधा, डिजिटल एक्सरे, दंत रोग, बाल रोग , nicu, icu ,जनरल और दूरबीन विधि से ऑपरेशन, जनरल फिजिशियन, पैथालॉजी, जनरल और प्राइवेट वार्ड, के साथ 24 घंटे एंबुलेंस सेवा भी उपलब्ध है।

नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ शरद बताते हैं कि इस मौसम में आंखों की देखभाल बहुत जरूरी है मात्र बचा और कुछ सावधानियों से हम बड़ी बीमारियों और नुकसान से बच सकते हैं। इसके लिए हमें कुछ सावधानियों बरतनी होगी। इस मौसम में लोगों को होने वाली कुछ आँखों की आम समस्याएँ है जैसे

कंजंक्टिवाइटिस (नेत्रश्लेष्मलाशोथ/ गुलाबी आँख)

इस बीमारी को आमतौर पर गुलाबी आंख के रूप में जाना जाता है, अत्यधिक संक्रामक है और मानसून के दौरान तेजी से फैलता है।

स्टाई और आंखों की एलर्जी

स्टाई पलक के पास एक दर्दनाक, लाल गांठ के रूप में प्रकट होती है और आमतौर पर तेल ग्रंथियों के जीवाणु संक्रमण के कारण होती है। मानसून में परागकणों, फफूंद और प्रदूषकों के कारण एलर्जी बढ़ जाती है, जिससे खुजली, सूखी लाल आंखें, सूजन और जलन होती है।

वायरल और बैक्टीरियल नेत्र संक्रमण

इन संक्रमणों के कारण असुविधा, प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता और धुंधली दृष्टि होती है। खराब स्वच्छता और दूषित जल स्रोतों के संपर्क में आना इसके मुख्य कारण हैं।

सूखी आँखें

उच्च आर्द्रता के बावजूद, कई लोगों को एयर कंडीशनर के साथ लंबे समय तक घर के अंदर रहने के कारण सूखी आंखों का अनुभव होता है। इस स्थिति के कारण खुजली, लालिमा, सूखापन या खुरदुरापन महसूस हो सकता है।

कॉन्टैक्ट लेंस उपयोगकर्ताओं के लिए बढ़ा जोखिम

कॉन्टैक्ट लेंस नमी को रोकते हैं और यदि उन्हें ठीक से साफ न किया जाए तो वे बैक्टीरिया के लिए प्रजनन स्थल बन सकते हैं। लेंस पहनते समय वर्षा जल के संपर्क में आने से मानसून में आंखों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

कॉर्नियल अल्सर

कॉर्नियल अल्सर कॉर्निया पर एक खुला घाव है जो अनुपचारित संक्रमण या चोट के कारण हो सकता है। यदि इसका तुरंत इलाज न किया जाए तो इससे गंभीर दर्द, दृष्टि हानि या अंधापन भी हो सकता है।

ये कुछ ऐसी बीमारियां है जो गंभीर हो सकती है इस तरह का कोई लक्षण दिखाई पड़े या कोई समस्या लंबे समय तक बनी रहो तो तुरंत योग्य डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। कोशिश करनी चाहिए कि बिना डॉक्टर के परामर्श के कोई दावा आंख में नहीं डालना चाहिए।

कुछ सावधानियों के साथ कर सकते है बचाव

डॉक्टर शरद बताते है मानसून के दौरान, अपनी आँखों को संक्रमण और जलन से बचाने के लिए अपनी दिनचर्या में कुछ सरल और नियमित आदतें शामिल करने से आपकी आँखों को स्वस्थ रखने में काफ़ी मदद मिल सकती है और बड़ी समस्याओं से बचा जा सकता है।

अपनी आँखों को छूने या रगड़ने से बचें
बार-बार हाथ और चेहरा धोएँ
धूल भरे या प्रदूषित क्षेत्रों में सुरक्षात्मक चश्मा पहनें
तौलिए, मेकअप या आई ड्रॉप साझा करने से बचें।

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