कागजों में सिमटी शोशल ऑडिट,बीआरपी ने कहा ऑल इज वेल

भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का माध्यम बना शोशल ऑडिट

कागजों में सिमटी शोशल ऑडिट,बीआरपी ने कहा ऑल इज वेल

ग्रामसभा बेलगड़ी के ग्राम पंचायत भवन में बीआरपी और रोजगारसेवक ने 2 घंटे में निपटाई सोशल ऑडिट

न प्रधान रहे, न ग्राम सचिव,न ग्रामसभा सदस्य और न ही ग्रामीण उपस्थित रहे

भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का माध्यम बना शोशल ऑडिट

बस्ती (जिला संवाददाता) । ग्राम पंचायत में सोशल ऑडिट एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें ग्राम पंचायत के कामकाज, खासकर मनरेगा जैसे योजनाओं के खर्च, का जनता द्वारा ऑडिट किया जाता है। यह ऑडिट पारदर्शिता, जवाबदेही और सामुदायिक भागीदारी को सुनिश्चित करता है। लेकिन बस्ती जनपद सोशल ऑडिट मात्र कोरमपूर्ति बनकर रह गया है।

बस्ती जनपद के सदर ब्लॉक के बेलगडी ग्रामसभा में शुक्रवार को सोशल ऑडिट करने पहुंची टीम ने ग्राम सभा को ऑल इज वेल बताया।

बीआरपी राधेश्याम चौधरी के नेतृत्व में 5 सदस्यों की टीम ने बिना प्रधान, ग्राम सचिव,ग्रामसभा सदस्यों और ग्रामसभा के अन्य पदाधिकारियों की उपस्थिति के सम्पन्न हो गई। पूरी ऑडिट बीआरपी ने रोजगार सेवक के साथ बैठ कर 2 घंटे में पूरी कर दी। जब उनसे मिडिया ने कार्यों के बार में पूछना चाहा तो टालमटोल करते हुए बैठक समाप्त कर दी।

बैठक को लेकर बीआरपी राधेश्याम ने बताया कि बैठक प्राथमिक विद्यालय पर हुई है जहां एक बारात रुकी थी। इसलिए ऑडिट पंचायत भवन में हुआ है।

सोशल ऑडिट के बैठक के समय रोजगार सेवक ,पंचायत सहायक, सचिव,नरेगा जॉब कार्ड धारक और ग्रामीणों की उपस्थिति होनी चाहिए।लेकिन सभी नदारद रहे।
आपको बता दे कि भ्रष्टाचार को समाप्त करने,पंचायत के कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए सोशल ऑडिट करवाया जाता है जिससे जनता की जवाबदेही तय की जा सके । ऑडिट होने से पहले ग्रामवासियों को सूचित किया जाता है और ग्रामीणों की उपस्थिति में ऑडिट होती है। मानकों को पूरा करना बीआरपी की जिम्मेदारी होती है लेकिन सुविधा शुल्क मिलने के बाद सारे मानक पूरे मान लिए जाते है।

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