पुण्य तिथि पर याद किये गये स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं राम उजागर शर्मा: योगदान पर विमर्श

पुण्य तिथि पर याद किये गये स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं राम उजागर शर्मा: योगदान पर विमर्श
बस्ती । स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं राम उजागर शर्मा की 52 वीं पुण्यतिथि पर उन्हें जनपद के साहित्यकारों, कवियों द्वारा याद कर श्रद्धांजलि दी गई। कलेक्टेªट परिसर में पं राम उजागर शर्मा के पुत्र वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम प्रकाश शर्मा के संयोजन में आयोजित श्रद्धांजलि सभा को सम्बोधित करते हुए मुख्य वक्ता परमात्मा प्रसाद चतुर्वेदी ने विस्तार से उनके बारे में बताते हुए कहा की वह विभिन्न जेलों में लगभग 8 वर्षों तक बंदी रहे। बंदी के दौरान उनकी मुलाकात प्रसिद्ध कवि मैथिलीशरण गुप्त से हुई। जिन्होंने उन्हें विद्रोही की संज्ञा से कविताएं लिखने के लिए प्रेरित किया। जेल में ही उन्होंने परिवर्तन और जागृति के नाम से क्रान्तिकारी उपन्यासों की रचना की। जिसे ब्रिटिश सरकार ने जब्त कर लिया था।
डा. वी.के. वर्मा, पं. चन्द्रबली मिश्र, बटुकनाथ शुक्ल, बी.के. मिश्र, पेशकार मिश्र, वाहिद अली सिद्दीकी, आदि ने कहा की आजादी के बाद से ही देश सेवा का जज्बा कायम रहने की वजह से उन्होंने अपने गांव गौसपुर में नेहरू कृषक विद्यालय की स्थापना की। वह भारत सेवक समाज के अध्यक्ष, प्रान्तीय रक्षक दल के बस्ती कैप्टन, कांग्रेस के जिलाध्यक्ष व भारत सोवियत मैत्री संघ के अध्यक्ष पदों पर आसीन रहे। साधूशरण शुक्ला ने कहा की उन्होंने संग्राम व समाजवादी भारत का प्रकाशन किया। क्रान्तिकारी कविताएं और रचनाएं लिखते रहे।
डा. राजेन्द्र सिंह ‘राही’ के संयोजन में आयोजित कवि सम्मेलन में अफजल हुसेन ‘अफजल’ दीपक सिंह प्रेमी, अजीत श्रीवास्तव ‘राज’ अजमत अली सिद्दीकी, तौव्वाब अली, परमात्मा प्रसाद निर्दोष आदि ने देश प्रेम की रचनाएं प्रस्तुत करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
श्रद्धांजलि सभा में मुख्य रूप से संजीव पाण्डेय, शत्रुघ्न राय, रामचन्द्र पाल, लालजी पाण्डेय एडवोकेट, सामईन फारूकी, गिरिश चन्द्र मिश्र, सभाजीत पाण्डेय, दीनानाथ यादव, सुधांशु बरनवाल, के साथ ही अनेक लोग मौजूद रहे।