कभी डकैतों से लोहा लिया तो एक बार पीएम बनने से चूके, जानें मुलायम से जुड़े रोचक किस्से

मुलायम सिंह यादव की पहली शादी घरवालों ने 18 साल की उम्र में ही कर दी थी। मुलायम उस वक्त दसवीं की पढ़ाई कर रहे थे। लोग बताते हैं कि उस वक्त गाड़ी-मोटर का इतना चलन नहीं था इसलिए मुलायम की बारात भैंसागाड़ी में गई थी।

उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का आज सोमवार 10 अक्तूबर, 2022 को निधन हो गया है। वह लंबे काफी समय से गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती थे। कुश्ती के अखाड़े से शिक्षक की नौकरी तक और उसके बाद राजनीतिक जीवन में मुलायम ने कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की। वह उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे और एक बार देश के रक्षा मंत्री का भी कार्यभार संभाला।

1. बेटे अखिलेश यादव से जबरदस्त प्रेम की कहानी 
पहली पत्नी मालती देवी की हृदयाघात से मौत के बाद अखिलेश की किशोरावस्था उनके दादी के सानिध्य में गुजरी। मुलायम के अखिलेश के प्रति ज्यादा प्रेम की एक बड़ी वजह ये भी है। अखिलेश और मुलायम सैफई में उस स्थान पर नियमित जाते हैं जहां उनका (मालती देवी) अंतिम संस्कार किया गया था। 1982 का समय था। मुलायम सिंह बेटे अखिलेश को लेकर सड़क के रास्ते ग्वालियर जा रहे थे, जहां उनका एडमिशन प्रतिष्ठित सिंधिया कॉलेज में होना था। अचानक उनकी गाड़ी रास्ते में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। किसी को चोट नहीं आई थी। मुलायम ने अपने बगल में बैठे साथी से कहा, ‘यार, मेरा केवल एक बेटा है वो भी अकेले यात्राएं करता हैं। अगर उसे कुछ हो गया तो?’ मुलायम ने कुछ देर सोचा फिर ड्राइवर से कहा, गाड़ी वापस करो, मुझे टीपू को यहां इतनी दूर नहीं पढ़ाना।

2. डकैतों के सामने सीना ताने खड़े हुए 
विधान परिषद के पूर्व सभापति चौधरी सुखराम सिंह यादव बताते हैं, ‘मुझे वर्ष तो नहीं याद है। पर, मौका माधोगढ़ (जालौन) सीट के विधानसभा उप चुनाव का था। मेरे पिता और मुलायम सिंह के मित्र चौधरी हरमोहन सिंह वहां चुनाव प्रचार कर रहे थे। मैं भी साथ में था। उन दिनों रात-रात भर गांवों में जाकर लोगों से मिलने-जुलने और वोट मांगने की परंपरा थी। हम लोग एक गांव से निकलकर दूसरे गांव जा रहे थे। रात का वक्त था। कुठवन के पास एक गांव में फायरिंग की आवाज सुनाई दी। ‘नेताजी’ ने मुझसे कहा कि जीप गांव की तरफ ले चलो। शायद, डकैती पड़ रही है। उन्होंने पड़ोस के गांव के कुछ लोगों को भी जगवाया। हम सभी लोग उस गांव के पास पहुंचे। नेताजी सबसे आगे। गांव से थोड़ा पहले रुककर उन्होंने डकैतों को ललकारा तो उधर से हम लोगों पर फायरिंग हुई। पर, नेताजी पूरी तरह बेखौफ। आखिरकार, डकैतों को गांव से भागना पड़ा। गांव वाले सभी लोग सुरक्षित बच गए।’

3. कवि अदम गौंडवी की मदद को आगे आए 
ऐसा ही एक किस्सा और भी है। मशहूर हास्य कवि अदम गोंडवी जब गंभीर रूप से बीमार पड़े तो उन्हें जरूरी इलाज नहीं मिल सका। गोंडवी के पुत्र लगातार नेताओं के चक्कर काटते रहे कि कोई पिता के लिए सिफारिश कर दे तो उन्हें अच्छा इलाज मिल सके, लेकिन बात नहीं बनी। लखनऊ के संजय गांधी मेडिकल कालेज में भी बीमार गोंडवी को जगह नहीं मिल सकी। इसकी जानकारी जैसे ही मुलायम सिंह को हुई तो उन्होंने तुरंत अस्पताल प्रबंधन से बात कर गोंडवी को अस्पताल में भर्ती कराया, हालांकि बाद में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

4. भैंसागाड़ी में गई थी मुलायम की बारात
मुलायम सिंह यादव की पहली शादी घरवालों ने 18 साल की उम्र में ही कर दी थी। मुलायम उस वक्त दसवीं की पढ़ाई कर रहे थे। लोग बताते हैं कि उस वक्त गाड़ी-मोटर का इतना चलन नहीं था इसलिए मुलायम की बारात भैंसागाड़ी में गई थी। मुलायम 5 भैंसागाड़ी लेकर अपनी शादी में पहुंचे थे।

5. लोगों के कपड़ों, जूतों और किराये तक की व्यवस्था कराई 
नेताजी की कोठी व पार्टी कार्यालयों में बहुत सारे ऐसे लोग भी आते थे जिनके पास सर्दियों में गर्म कपड़े नहीं होते थे, जूते नहीं थे या जो बीमार थे। ऐसे तमाम उदाहरण हैं कि नेताजी ने उनकी समस्या हल करने के साथ ही उनके लिए कपड़ों, जूतों और किराये तक की व्यवस्था कराई। विधानसभा 2012 का चुनाव चल रहा था। नेताजी को चुनावी सभा में जाना था। मैं उन्हें छोड़ने एयरपोर्ट जा रहा था। कृष्णानगर के पास यातायात व्यवस्थित रखने के लिए पुलिस ने एक दूधिये को रोका तो उसकी साइकिल गिर गई और दूध बिखर गया। नेताजी ने गाड़ी रुकवाई। डरे-सहमे दूधिये को बुलाकर पूछा कि उसका कितना नुकसान हुआ है। उसे तत्काल दो हजार रुपये दिए। गाड़ी में जाते हुए नेताजी से राजनीतिक चर्चा चल रही थी लेकिन इस घटना के बाद एयरपोर्ट तक दूधिये पर ही चर्चा होती रही। नेताजी कह रहे थे कि कितनी जल्दी उठकर कितने घरों से दूध लाया होगा। घर जाकर वह क्या जवाब देता? नेताजी इतने संवेदनशील हैं कि किसी को दुखी देख ही नहीं सकते थे।

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